मैं जब भी किसी बुढ़े -लाचार भिखारी को देखती हूँ तो मुझे बहुत ही बुरा लगता है | आज हम कुछ बनने के लिए बहुत कुछ छोड़ते जा रहे हैं | (ये मेरे अपने विचार है जो इस बदलते माहौल को देखकर लिख रही हूँ | ) हमारी दुनिया भी कितनी अजीब है,सालों -सदियों से देखा-माना भी जाता है की माता-पिता एक ऐसा रूप हैं ,अवतार हैं जिसका दर्जा भगवान से भी ऊपर है,इसके बावजुद आज हम इसी अवतार को एक ऐसी मोड़ पर छोड़ देते हैं जब हमें लगता है कि इनकी अब जरूरत नहीं | पर ये भुल जाते हैं की हम जो भी हैं ,जहाँ भी हैं इनकी मेहनत, बलिदान और आर्शीवाद के बदौलत हैं ,ये ऐसा ताकत और धन है जो भगवान ना तो दे सकता है और ना छीन सकता है ,और इसके बिना हमारा अस्तित्व मिट्टी के सामान है ,हमे यह नहीं भुलना चाहिए की इनके बिना कभी उन्नति नहीं कर सकते हैं ,इसके बावजुद वही माता -पिता लाख यातनाओं ,अवहेलनाओं के बाद हमारा भला ही सोचते हैं | बचपन मे खुद गीलें मे सोकर हमे सुखें में सुलाने वाली माँ ,दिन भर के काम के कारण थका हुआ पिता जब अपनी कंधे पे लेकर घुमाता है ,तो ये बात हमें कभी नहीं भुलनी चाहिए की ये खुद कष्ट झेलकर हमारा कष्ट दुर करते हैं ,चाहे जब भी दुःख हो सुख हो यही वो सच्चे दोस्त हैं ,जब हर वक्त हर मोड़ पर साथ खड़े रहते हैं की हम डगमगायें नहीं ,भटके नहीं | आज की रफ़्तार वाली जिंदगी मे उनको हमारा पैसा -दौलत नहीं ,सिर्फ 2 मिनट का प्यार चाहिए ,लेकिन हम उन्हें वृद्धा -आश्रम भेज देते हैं ,जहाँ वो अपनों की राह देखते -देखते हमारे एक प्यार के लिए दम तोड़ देते हैं | शायद हम किसी क्लब ,बार ,रेस्टोरेंट में दोस्तों के साथ पार्टी करें ,मजे करें ये कुछ पलों का एहसास होता है ,पर यही समय अगर इंतजार करते माता -पिता के साथ बैठ के बातें कर लें ,तो ये पल जिंदगी की मोती बन जाती है | तो दोस्तों हम कितने भी बड़े क्यों ना हो जाये ,माता -पिता की सेवा करें , उनका ध्यान रखें ,आर्शिवाद लें ,क्योंकि आज हम जो हैं ,उनकी बदौलत हैं | – भारती कुमारी